हर शौक को जीती हूँ मैं
मसलन, मुझे है
खाने का
खिलाने का
महमान-नवाजी करने का शौक,
हंसने का
सबको हंसाने का
और ख़ुशी से आपको रुलाने का शौक
कुछ वादे निभाने का
कुछ हंस के टाल जाने का शौक
बीते दर्द बयान करने का
कुछ खामखां लड़ने का शौक
सुनने का
सुनाने का
कहते कहते खिलखिलाने का शौक
मेल-जोल बढ़ाने का
हवाई गप्पे लड़ाने का शौक
रूठने का
और रूठे को मनाने का शौक
जब होते नहीं हैं यहाँ पर आप
मुझे है याद करने का
या कभी अपनी याद दिलाने का शौक
किस्म किस्म से जीती हूँ रोज़
हर तरह के पूरे करने को शौक
आपका शौक है काम करने का
मेरा काम है पूरे करने का शौक
जब होते हैं पूरे सारे ये शौक
मुझे है कुछ नए शौक जगाने का शौक.....
cute poem :)
ReplyDeleteLol. Thanks!!!
DeleteKavita likhne ka bhi shauk hai aapko...
ReplyDeleteGood one....looks like u r actually fond of all what u have mentioned..
Yes! You Bet.... /m\
DeleteThough I generally dont read in Hindi, but you kept me tied :)
ReplyDeleteKeep Blogging!
That's a very motivating compliment Nasir... Thanks a ton!
Deleteaur humein hai aapke naye purane shauk pure karne ka shauk :)
ReplyDeleteAwww... Thats so sweet love! :) :) ThanQ
Deletenice!!!
ReplyDeleteThanks :)
ReplyDeletei dont think u missed out any "shauk"...
ReplyDeletestill a wonderful attempt :)
Lol! Thanks A ton Ashish :)
Deleteawesome poem sheshai :)
ReplyDeleteI am glad you liked it Akshat :)
DeleteShesha bhabhi I can truly n honestly relate it to my personal life.....n so fun doing my shauk.....u really understand people around you.....
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